गुमशुदा की तलाश ! - सत्य कहीं खो गया है
5/18/20251 min read


गुमशुदा की तलाश !
सत्य कहीं खो गया है,
बेचैन था कलियुग में आ के...
कोई नहीं चाहता था उसे,
सुना भगवान को प्रिय हो गया है !
पहचानने के कुछ आधार !
सत्य, सच, ईमान जैसे कई नामों से उसे जाना जाता है,
आमतौर पर उसका उपनाम "कटु" उसके पहले लगाया जाता है।
और खास बात, सिर्फ उसे ही नहीं,
उसको मानने वालों को भी जलील किया जाता है,
हरिश्चंद्र की औलाद, बड़ा आया सच्चा बनने वाला, जैसे नामो से शर्मिंदा किया जाता है।
पर मेरी मां कहती है,
सत्य अमर है ऐसा कहा जाता है,
लगता तो मुझे भी है,
क्योंकि हर रोज
थाने में, अदालतों में, घरों में,
ऑफिसों में, सड़क पर, चौराहों पर,
सच को मारने की कोशिश होती है
पर वह फिर खड़ा हो जाता है।
उसका कोई दामन पकड़ ले तो बेइज्जती उसकी भी कम नहीं होती,
"और बैठा रह सच का पल्लू बांध के"
ऐसों को आराम से रोटी नसीब नहीं होती !
आपको कहीं मिले तो बताना,
बहुत सामान्य सा ही दिखने में,
इसलिए जिसका है, उसी को पसंद आता है,
दूसरा तो उसको देख के मुंह फेर जाता है।
सत्य ! खास बात ये कि,
ये वो है जिसे चाहते सब है,
पर अपनाना कोई नहीं चाहता.
ये वो है जिसे जानना सब चाहते है,
मानना कोई नहीं चाहता।
इसके आ जाने पर कई बार
मातम तक छा जाता है ।
गुस्सा तो तब आता है
बिल्कुल सच है, कह कर,
इनका सौतेला भाई झूठ अपनी
कहानी परोस जाता है।
कलियुग में कुछ समय तो मेरी आत्मा जिंदा थी,
पर उस दिन वो आत्महत्या कर गई,
जिस दिन सत्य गलत केस में फंस गया,
झूठ का सहारा लेना पड़ा,
तब उसकी जमानत हो गई। 😢
रचयिता : देवेन्द्र शारडा